Eid moon: आज हम जानेंगे क्या है ईद का चाँद देखने की खुली चुनौती ? जिसकी वजह से हो जाती है दो-दो दिन ईद। दोस्तों ईद मुस्लिम लोगों का सबसे ज्यादा बड़ा त्यौहार ईद है आज ईद से जुड़े बहुत से रोचक तथ्य ( Interesting Facts Related To Eid ) है जैसे कि ईद के वक्त लोगों के दो धड़ अलग हो जाते हैं एवं दो दो दिन ईद मनाई जाती है कुछ लोग पहले दिन मनाते हैं तो कुछ लोग दूसरे दिन, इसमें चंद्रमा (Moon) की क्या भूमिका होती है इसे इस प्रकार समझा जा सकता है।
ईद को मुस्लिम लोगों का सबसे ज्यादा बड़ा त्यौहार मानते है। ईद रमज़ान माह के समाप्त होने पर सेलिब्रेट की जाती है। ईद मनाने को तैयारियां हफ्तों एवं माह भर पहले से स्टार्ट हो जाती हैं। इस दिन सभी मुस्लिम नए नए कपड़े पहनकर ईदगाह में नमाज़ पढ़ने जाते हैं। ईद का दिन चाँद देखकर मनाया जाता है मगर चांद को लेकर सदैव मुसलमान समुदायों में मतभेद देखने को मिल जाता है। जिसके कारण दो-दो दिन ईद हो जाती हैं। आख़िर विचारों में ऐसा अंतर क्यों होता है? और चाँद क्यों देखते है? इसे समझने को आपके लिए कुछ गहराई में जाना होगा। असल में ईद इस्लामिक कैलेंण्डर (हिजरी संवत) के मुताबिक मनाई जाती है। उर्दू इस्लामिक कैलेंण्डर का नौवां माह रमज़ान का होता है जो सामान्यतः 29 अथवा 30 दिनों का होता है। इसके पश्चात दसवां माह शव्वाल (ईद का) शुरू होता है जिसकी फर्स्ट डेट को ही ईद सेलिब्रेट की जाती है। इस्लामिक कैलेंडर का हर माह चांद को देखकर स्टार्ट होता है। मानते है जब नया चाँद दिखाई पड़े तो ही न्यू मंथ स्टार्ट होता है। इसी नए चाँद को देखकर ही शव्वाल का माह शुरू होता है। चूंकि ईद मुस्लिमों का सबसे ज्यादा बड़ा त्यौहार है अत: ईद के चंद्रमा का इंतजार न केवल मुस्लिमों को अपितु अन्य समाज के व्यक्तियों को भी बहुत रहता है। कभी-कभी इसी चाँद के प्रति मुस्लिमों में वैचारिक मतभेद हो जाता है जिसके कारण लोग अलग-अलग हिस्सों में बंट जाते हैं एवं दो दिन ईद (Eid) हो जाती है।
Table Of Content
- कब आता है नया चाँद या ईद का चाँद देखने का दिन
- अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक हर वर्ष अलग माह में क्यों होती है ईद
- क्या है उर्दू कैलेंडर
- इंडिया में किस प्रकार से सेलिब्रेट की जाती है ईद
- इंडिया में कमेटियां
- अन्य देश किस प्रकार से मनाते हैं ईद
- इंडिया में भी क्या साइंस के बेस पर होगा ईद का अनाउंसमेंट
- क्या है साइंटिफिक बेस
- इंडिया में क्यों मनाई जाती है दो दिन ईद
कब आता है नया चाँद या ईद का चाँद देखने का दिन
पृथ्वी सूरज के चारो ओर घूमती है और इसके एक चक्कर को पूरा होने में 365 दिन (1 साल) एवं कुछ घण्टे लगते हैं। जिसके कारण 365 दिन रखने वाला वर्ष हर चौथे साल लीप वर्ष हो जाता है एवं इस तरह से फरवरी माह में एक दिन बढ़ जाता हैं एवं पूरा वर्ष 366 दिनों वाला हो जाता है। ठीक इसी भांति चाँद भी पृथ्वी का चक्कर लगाता है। और पृथ्वी अपनी धुरी पर भी घूमती है परंतु विज्ञान के मुताबिक यदि पृथ्वी अपने स्थान पर रुकी रहे एवं चंद्रमा परिक्रमा करता रहे तो 27 दिनों में चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर घूमकर एक चक्कर लगा लेता है। मगर पृथ्वी के अपनी धुरी पर भी घूमने के कारण पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा का एक चक्कर 29 दिन एवं कुछ कई घंटे में पूरा होता है। इसी एक चक्कर के पूरा होने के पश्चात जो चंद्रमा दिखता है उसे ईद का चाँद या नया चाँद कहते है।
अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक हर वर्ष अलग माह में क्यों होती है ईद
आप सदैव देखते होंगे की ईद कभी जुलाई माह में होती है तो कभी-कभी जून माह में अथवा अन्य महीनों में, तो इसका भी एक बड़ा कारण यह है की इस्लामिक कैलेंडर में 355 अथवा 356 दिन होते हैं ये 10 दिन का फर्क ही ईद को प्रतिवर्ष 10 दिन पहले कर देता है जिसके कारण अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक हर वर्ष अलग माह में करना पड़ता है ईद का चाँद देखने के लिए इंतज़ार और यह त्योहार हर वर्ष अलग अलग माह में पड़ता रहता है।
क्या है उर्दू कैलेंडर
उर्दू कैलेंण्डर एक इस्लामिक कैलेंण्डर है। जिसे हिजरी के मुताबिक समझा जाता है। हिजरी संवत की शुरूआत तब हुई थी जब मोहम्मद साहब ने सउदी अरब के मक्का को छोड़कर मदीना बसा लिया। उसी वर्ष से हिजरी संवत की स्टार्टिंग हुयी। मोहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का प्रथम माह होता है जिसकी फर्स्ट डेट से इस्लामिक कैलेंडर का आगाज़ होता है। इसमें भी 12 माह होते हैं जिसमें रमज़ान 9 वें महीनें में एवं ईद दस वें माह की फर्स्ट डेट व बकरीद 12वें माह की10वीं तारीख को मनाई जाती है।
इंडिया में किस प्रकार से सेलिब्रेट की जाती है ईद
भारत के बहुत से शहरों में अलग-अलग चाँद समितियां बनाई गई है। सबसे प्रभावशाली ऐलान लखनऊ अथवा दिल्ली की फ़ेमस जामा मस्जिद से होता है। इंडिया में मुस्लिम समाज दो वर्गों में बंटित है। जिसमें पहला शिया तथा द्वितीय सुन्नी समुदाय है। इन दोनों ही समुदायों की अलग अलग चाँद समितियां बनाई गई हैं।
इन चाँद समितियों के प्रत्येक प्रदेश में एजेंट होते हैं एवं दो काबिले कुबूल व्यक्तियों की चाँद देखने की गवाही पर ये निर्णय लेते हैं एवं ऐलान कर चाँद दिखने न दिखने का अनाउंसमेंट करते हैं। चूंकि उर्दू माह 30 दिन का ही होता है अत: 29 तारीख को चंद्रमा न दिखने पर 30 तारीख को चंद्रमा हो अथवा न हो आने वाले अगले दिन को माह का प्रथम दिन मान लेते है।
इंडिया में कमेटियां
इंडिया में प्रमुख दो समिति हैं। जिनमें एक शिया चाँद समिति है तो दूसरी सुन्नी चाँद समिति। इन दोनों का मेन ऑफिस लखनऊ में है। इनमें सुन्नी चाँद समिति के अध्यक्ष राशिद फिरंगी हैं तो शिया समिति के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास नकवी एवं मौलाना रज़ा हुसैन साहब हैं। जिनके ऐलान पर इंडिया में शिया एवं सुन्नी ईद सेलिब्रेट करते हैं कभी-कभी इन्हीं दोनों समुदाय के लोगों के मध्य मतभेद पैदा हो जाता है जिससे इंडिया में दो दिन ईद (Eid) हो जाती हैं।
अन्य देश किस प्रकार से मनाते हैं ईद
दुनिया के अन्य मुस्लिम कंट्रीज़ में भी चाँद समितियाँ बनाई जाती हैं वही चांद समिति चाँद से जुड़े निर्णय लेती हैं मगर टेक्नोलॉजी के इस जमाने में अब साइंटिफिक बेस पर पर चाँद की स्थिति देखकर उसके मुताबिक ही इस्लामिक कैलेंडर छापा जाता है एवं उसी कैलेंडर के मुताबिक ईद (Eid) भी मनाई जाती है ज्यादातर मुस्लिम कंट्रीज़ में ईद की डेट पहले ही घोषित कर दी जाती है एवं उसी हिसाब से ईद सेलिब्रेट भी की जाती है।
ईरान और सऊदी अरब में भी इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक ही ईद सेलिब्रेट की जाती है अपवाद को अनदेखा कर दें तो इन कंट्रीज में सभी समुदायों के लोग एकजुट होकर ही ईद मनाते हैं जबकि भारत और पाकिस्तान में अधिकतर दो दिन ईद हो जाया करती है। पाक में भी चाँद के प्रति बहुत मतभेद सामने आते हैं। मगर इस वर्ष इमरान सरकार में संघीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मिनिस्टर फवाद चौधरी ने चंद्रमा के प्रति एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बोला कि विज्ञान के मुताबिक अब चाँद की स्थिति का पता लगा सकते है एवं इसी के मुताबिक अब पूरे पाक को ईद मनाना चाहिए एवं दोपहर में उन्होंने चाँद की स्थिति को बतलाते हुए संडे को ईद का ऐलान कर दिया, हालांकि मुसलमानों के धर्मगुरुओं की इस पर समान सलाह नहीं थी मगर रात्रि होते होते सभी धर्मगुरुओं ने संडे को ईद मनाने की घोषणा कर दी।
कहा जाता है कि फवाद चौधरी के ही वक्तव्य से पूरे देश में एक दिन ईद सेलिब्रेट की गई है। फवाद के मुताबिक इस प्रकार की चेष्टा इससे पूर्व भी की गई थी एवं 1974 में एक समिति बनाई गई थी मगर उस समिति में फूट पड़ गई एवं सब अपना अलग अलग ऐलान करने लगे। इस वर्ष एक ईद होने के उपरांत समझा जा रहा है कि अब पाक भी साइंस के बेस पर ईद को पूरे देश में एक साथ सेलिब्रेट किया जाएगा।
इंडिया में भी क्या साइंस के बेस पर होगा ईद का अनाउंसमेंट
इस टाइम तो इंडिया में जो चाँद समितियों का रुख़ है उसके मुताबिक इंडिया में तो अभी पुराने तरह से ही चाँद दिखने का अनाउंसमेंट हुआ करेगा। यद्यपि लखनऊ के एक विद्वान मौलाना डा कल्बे सादिक प्रत्येक वर्ष एक मास पहले ही बकरीद और ईद की तारीखों का अनाउंसमेंट कर देते हैं। वह साइंस के बेस पर ही इन डेट्स का अनाउंसमेंट करते हैं एवं पूर्व 15-20 सालों से वे यही करते आ रहे हैं उनके द्वारा बताई गयी तारीख एकदम सही होती है।
चांद देखने के उपरांत चाँद समिति जो घोषणा करती है वह एकदम वही होती है मगर इसके बाद भी चाँद समितियों का मानना यह है कि शरीयत के मुताबिक चंद्रमा हकीकत में देखना अथवा दो विशिष्ट व्यक्तियों की गवाही के उपरांत ही अनाउंसमेंट करा जा सकता है। साइंस के बेस पर चाँद का अनाउंसमेंट नहीं करा जा सकता है।
क्या है साइंटिफिक बेस
असल में यह स्पेस सिस्टम के मुताबिक फिक्स होता है अंतरिक्ष और सैटेलाइट के ज़रिए चंद्रमा की स्थिति को देखकर जानकारी दी जाती है कि चंद्रमा अपना यह चक्कर कब और किस वक्त पूर्ण करेगा। इसी आधार पर माह के समाप्त होने की घोषणा कर दी जाती है।
सामान्यतया हर माह चाँद की स्थिति के मुताबिक़ ही तय होता है मगर इस पर लोगों की विशेष रुचि नहीं रहती है चूंकि ईद सभी मुस्लिम मनाते हैं अत: ईद के चाँद पर हर व्यक्ति की नज़र टिकी होती है। चाँद की स्थिति को बताने वाली एक इंटरनेट साइट भी है जिसके मुताबिक कई देश चंद्रमा दिखने न दिखने का निर्णय लेते हैं। इस इंटरनेट साइट का नाम मून शाइटिंग है।
इंडिया में क्यों मनाई जाती है दो दिन ईद
इंडिया में भी केरल एवं जम्मू-कश्मीर दो इस प्रकार के स्टेट हैं जहाँ आज ईद मनाई गई है। जबकि और प्रदेशों में कल अथवा मंडे को ईद मनाई जाएगी। यह अत: होता है कि जम्मू-कश्मीर और केरल ये दोनों ही स्टेट लखनऊ के निर्णय से अलग हटकर अपना स्वयं का निर्णय लेते हैं मगर ऐसा करने वाले कुछ व्यक्ति ही होते हैं ज्यादातर लखनऊ के चाँद समिति के निर्णय को ही मानते हैं।
मगर कुछ ग्रुप इस प्रकार के भी हैं जो पड़ोस के देश के चाँद की तस्दीक को भी सही मान लेते हैं। एवं उसी के बेस पर ईद सेलिब्रेट कर लेते हैं उनका यह मानना है कि ऐसा कुछ नहीं है कि पड़ोसी देश में चंद्रमा दिखा हो तो वह चंद्रमा इंडिया में नहीं समझा जाएगा। दूसरी तरफ लखनऊ स्थित चाँद समितियों का यह मानना है कि इंडिया के किसी भी भाग में लिहाजा दो व्यक्तियों का चाँद का देखना जरूरी है तभी चाँद की तस्दीक करी जा सकती है अन्यथा नहीं
आशा करते है दोस्तों आपको ये Interesting Facts Related To Eid बहुत अच्छे लगे होंगे व आपको ईद के बारे में काफ़ी अच्छी जानकारी हो गयी होगी, दोस्तों ऐसे ही अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए हमारी वेबसाइट के अन्य लेख भी पढ़ सकते है साथ ही अन्य लोगों तक इस लेख को शेयर करके उनकी भी मदद कर सकते है।