Saturday, July 27, 2024
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पार्टनर के साथ है मनमुटाव, जानिए कैसे ले सकते है एकतरफा तलाक – Process Of Onesided Divorce

आज इस आर्टिकल में हम एकतरफा तलाक़ के संबंध में जानेंगे कि एक तरफा तलाक क्या होता है? एकतरफा तलाक के लिए किस प्रकार से याचिका दायर करें? एवं इस तरह के तलाक की याचिका में कौन-कौन से दस्तावेज लगेंगे इत्यादि। इस आर्टिकल में आपको वन साइडेड डिवोर्स के लिए आवेदन करने से लेकर, आवश्यक कागजातों आदि से संबंधित सभी आवश्यक जानकारियां मिल जाएंगी।

Table Of Content

तलाक क्या होता है एवं तलाक के प्रकार

इंडियन डिवोर्स एक्ट – जब भी कोई पति-पत्नी किसी रीजन से एक-दूसरे के साथ में नहीं रहना चाहते एवं वे अलग होना चाहते हैं तो वे केवल अदालत के जरिए ही अलग हो सकते हैं। इसी प्रॉसेस को तलाक कहते हैं। जब भी कोई दम्पति स्वयं की तनावपूर्ण विवाहित जिन्दगी से मुक्त होना चाहते है, तो उन लोगों के लिए केवल डिवोर्स का ही ऑप्शन ही बचता है। खास कर इस प्रकार की स्थिति में जब उन्हें उस रिलेशन को और आगे बचाना कठिन हो जाता है। इस स्थिति में पति और पत्नी के पास डिवोर्स के दो तरीके होते हैं। जो उनकी विवाहित जिन्दगी की परिस्थितियों के मुताबिक निर्धारित होते हैं। तलाक दो तरह के होते हैं –

1. आपसी सहमति से तलाक या मयूचुअल डिवोर्स

2. एकतरफा तलाक या कंटेस्टेड डिवोर्स

1. आपसी सहमति से तलाक या मयूचुअल डिवोर्स – Mutual Divorce

आपसी सहमति से तलाक दोनों पक्षों की रज़ामंदी के साथ होता है। मतलब अगर हसबैंड और वाइफ दोनों ही एक दूसरे से डिवोर्स लेने को तैयार है एवं दोनों ही इस रिलेशन को समाप्त करने के लिए स्वयं की सहमति दे देते हैं तो इस प्रकार के तलाक को स्वैच्छिक तलाक या Divorce By Mutual Consent कहते हैं।

2. एकतरफा तलाक या कंटेस्टेड डिवोर्स – Unilateral Divorce

अगर पति-पत्नी में से कोई एक डिवोर्स लेना चाहता है एवं दूसरा इसके लिए किसी वजह से रेडी नहीं है तो इस प्रकार की स्थिति में तलाक़ को एकतरफा तलाक या One Sided Divorce कह सकते हैं। एकपक्षीय तलाक में डिवोर्स की ऐप्लिकेशन विवाहित जोड़े में से किसी एक पक्ष द्वारा दायर की जाती है। डिवोर्स की इस प्रक्रिया में कुल कितना टाइम लगेगा इस संदर्भ में भी कुछ निश्चित नहीं बोला जा सकता है। ये अवधि 180 दिनों से भी ज़्यादा की हो सकती है। इस प्रक्रिया में आप लोगों के पास कुछ पुख्ता साक्ष्य होना ज़रूरी होता है जिनके बेस पर आप लोगों को तलाक चाहिए होता है।

जानिए एकतरफा तलाक कैसे लें ? Process of Unilateral divorce

इंडिया में यदि पति-पत्नी दोनों अपनी इच्छा से एक दूसरे से डिवोर्स लेना चाहते हैं तो विधिक (कानूनी) रूप से ऐसा करना बहुत आसान होता है। परंतु यही डिवोर्स की प्रक्रिया अगर एकपक्षीय हो तो बहुत कठिन होती है। इसलिए यहाँ एकपक्षीय तलाक़ के लिए दावा पेश करने के समय पति-पत्नी के पास कुछ आवश्यक सबूत होना बहुत जरूरी है। जिसके बेस पर उन्हें जल्द डिवोर्स मिल सके। यहाँ हमने बताया है कि किस-किस आधार पर हसबैंड और वाइफ, एकतरफा तलाक ले सकते हैं। यहाँ हमने इस तरह के 8 ठोस आधार बताए हैं, जिनके बेस पर कोर्ट से बहुत सरलता से डिवोर्स मिल जाता है। ये आधार पति व पत्नी, दोनों के लिए मौजूद हैं। कोर्ट इन 8 कारणों से किसी भी व्यक्ति को वन साइडेड डिवोर्स की अनुमति दे देती है। तो चलिए हम जान लेते है क्या है एकतरफ़ा तलाक के 8 ठोस आधार, साथ ही एकतरफ़ा तलाक़ का पूरा प्रॉसेस भी आपको आगे इस आर्टिकल में बताया जाएगा।

एकतरफा तलाक के नियम – Grounds For Unilateral Divorce

1). व्यभिचार के आधार पर –  Adultery

इसको Adultery, Fornication, Debauchery, Licentiousness भी बोलते हैं। अगर हसबैंड या वाइफ में से कोई भी एक, दूसरे को Cheat करते हुए किसी Third Person के साथ फिजिकल रिलेशन बना रहा है, तो इसे ही Adultery अथवा व्याभिचार कहा जाता है। अगर आपके पास इसके साक्ष्य हो तो कोर्ट आपको वन साइडेड डिवोर्स की परमिशन दे सकता है। यद्यपि अगर आप किसी व्यक्ति पर शक करते हैं तथा वह आपके पार्ट्नर का केवल कोई घनिष्ट मित्र है, तो उसके साथ की गयी Chatting पर व्यभिचार सिद्ध नहीं हो सकता। इसका ठोस आधार होना चाहिए, जिसको अदालत में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करा जा सके। 

2). हिंसा के आधार पर – Cruelty

शादीशुदा जिंदगी में दो प्रकार की हिंसा होती है। पहली फिजिकल और दूसरी मेंटल, अगर हसबैंड या वाइफ में से कोई एक मानसिक या शारीरिक हिंसा का गुनाहगार है, जिसको अदालत में साक्ष्य के तौर पर पेश करा जा सके, तो उसको आधार बनाकर डिवोर्स दिया जा सकता है।

3). दो साल से ज्यादा एक-दूसरे से अलग रहने पर – Desertion

शादी होने के बाद यदि हसबैंड या वाइफ 2 वर्ष के लम्बे अंतराल के गुजर जाने के बावजूद, एक-दूसरे के साथ नहीं रह रहे हैं तो यह भी वन साइडेड डिवोर्स का ग्राउंड हो सकता है। उदाहरण के लिए यदि मैरिज होने के थोड़े दिन पश्चात ही बीवी मायके चली गई, हसबैंड के अनेक बार बुलाने के बावजूद भी ससुराल वापस आने के लिए तैयार नहीं हुई एवं बीवी के ससुराल या हसबैंड के पास वापस ना आने का टाइम 2 वर्ष से ऊपर का हो चुका है तो इस बेस पर हसबैंड, वाइफ को वन साइडेड डिवोर्स देने के लिए स्वतंत्र है।

4). धर्म परिवर्तन – Conversion

धर्म परिवर्तन एकतरफा तलाक के लिए एक महत्वपूर्ण वजह बन सकता है। यदि हसबैंड और वाइफ अलग अलग धर्मों से हैं, मैरिज करने के दौरान भी दोनों ने स्वयं के धर्म में रहना ही मंजूर किया है तो इस प्रकार की स्थिति में मैरिज के बाद हसबैंड या वाइफ़ में से कोई भी अपने पार्टनर को धर्म बदलने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। यदि ऐसा किया जाता है तो इस प्रकार की स्थिति में यह चीज़ एकतरफा तलाक के लिए अदालत में एक ठोस आधार बन सकती है।

5). सन्यास – Renunciation of World

पति और पत्नी में से यदि कोई एक विवाहित जीवन को त्यागकर सन्यास लेने का निर्णय करता है तो फिर दूसरे व्यक्ति को अदालत से वन साइडेड डिवोर्स लेने का अधिकार मिल जाता है। मानते है कि मैरिज के बाद हसबैंड-वाइफ दोनों पर एक-दूसरे की घर-पारिवारिक, सामाजिक एवं शारीरिक इच्छाओं को पूर्ण करने की रिस्पांसिबिलिटी होती है। यदि एक शख्स उन सभी जिम्मेदारियों को त्यागकर सन्यास लेने का निर्णय कर रहा है तो फिर दूसरे व्यक्ति को उससे डिवोर्स लेने का पूर्ण कानूनन अधिकार होगा।

6). गुमशुदगी या प्रकल्पित मृत्यु – Presumed Death

यदि पति-पत्नी में से कोई भी एक 7 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी गायब है एवं दूसरे पार्टनर को यह नहीं पता है कि वो इंसान जीवित भी है अथवा मर चुका है, इस प्रकार की स्थिति में गायब हुए इंसान से दूसरा पार्टनर डिवोर्स लेने के लिए अदालत में दरखास्त लगा सकता है। इंडिया का लॉ यह मानता है यदि कोई भी इंसान अपनी गुमशुदगी के सात वर्ष पूरे होने के बावजूद भी नहीं लौट पाया है तो वह जिंदा नहीं है। तो इस प्रकार की स्थिति में उसके जीवन साथी या पार्टनर को डिवोर्स लेने का पूरा अधिकार होगा। तो अब आपको इस प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा कि अगर मेरा जीवनसाथी भारत में लापता है तो मुझे तलाक कैसे मिल सकता है?

7). गम्भीर मानसिक या शारीरिक रोग होने की स्थिति में – Serious Physical or Mental Disorder

यदि आपके साथी को कोई गम्भीर शारीरिक रोग मसलन एड्स या कोढ़ रोग जैसी कोई मर्ज है या फिर वह सिजोफ्रेनिया अथवा किसी और गम्भीर दिमागी रोग से ग्रस्त होने की सिचुएशन में है तो इस स्थिति में एकपक्षीय तलाक की अर्जी अदालत में लगाई जा सकती है। इस प्रकार के मामलों में अधिकतर कोर्ट की तरफ से तलाक की अर्जी को स्वीकृत कर दिया जाता है। न्यायालय मानता है कि यदि पार्टनर को कोई ऐसा गम्भीर शारीरिक अथवा दिमागी रोग है, जिससे दूसरे शख्स की जान जा सकती है तो फिर इस प्रकार की स्थिति में अदालत द्वारा एकपक्षीय तलाक दे दिया जाता है।

8). नपुंसकता – Impotency

बहुत से मामलों में नपुंसकता (Impotency) के ग्राउंड पर भी अदालत के जरिए एकतरफा डिवोर्स मिल जाता है यदि आप अदालत में सिद्ध कर देते है कि आपका पार्ट्नर नपुंसक (Impotence) है तो अदालत आपकी एकपक्षीय तलाक की अर्जी को स्वीकार कर लेती है।

तो अब आपको पता लग गया होगा कि भारत में तलाक लेने के 7 मुख्य कारण कौन से है ? अब हम जानेंगे कि तलाक लेने के लिए कौन कौन से कागज लगते हैं? तथा इसकी प्रक्रिया क्या है।

एकतरफा तलाक की प्रक्रिया – Process of Onesided divorce

तो अब आपको यह नहीं सोचना होगा कि अगर पति तलाक न दे तो क्या करें , क्योंकि अब आपको पता चल चुका है कि एक तरफ़ा डिवोर्स किन आधारों पर लिया जा सकता है? इसके साथ ही डिवोर्स लेने के लिए आपको किन कागजातों की जरूरत होगी आदि। आइये अब जान लेते हैं कि डिवोर्स लेने के लिए किस प्रॉसेस को फॉलो करना होगा? एकतरफ़ा तलाक़ के लिए आपको निम्न बिंदुओं का पालन करना होगा।

एडवोकेट हायर कीजिए :  सर्वप्रथम आपको अपने मामले से संबंधित अच्छे वकील से सम्पर्क करना होगा। जो शादी के पंजीकरण व तलाक इत्यादि से सम्बंधित काम करते हैं।

तलाक के दस्तावेज : इसके पश्चात आपको डिवोर्स के कुछ दस्तावेज तैयार कराने होंगे। सभी पेपर्स स्वयं के वकील की सलाह के अनुसार तैयार कीजिये। निर्धारित की गई फीस जमा करें एवं फिर डिवोर्स के पेपर्स को परिवार न्यायालय में जमा कराएं।

पार्टनर/अन्य पक्ष को नोटिस सेंड करें : अब अदालत में पेपर्स जमा कराने के उपरांत आप के पार्टनर को डिवोर्स की प्रोसेस स्टार्ट होने के संबंध में सूचित करने हेतु अदालत द्वारा नोटिस या समन दिया जाता है। आमतौर पर इसे स्पीड पोस्ट के द्वारा भेजा जाता है।

कोर्ट में हाजिरी : समन जारी होने के उपरांत आपको तथा आप के पार्टनर को निश्चित की गयी तिथि पर अदालत में उपस्थित होना होता है।

कोर्ट में दो परिस्थितयां : अगर निश्चित की गयी तारीख को दूसरा पार्टनर अदालत नहीं पहुंचता है तो इस स्थिति में मसला एकपक्षीय हो जाएगा। एवं फिर तलाकनामा की अर्जी देने वाले पार्टनर को उसके दस्तावेजों को आधार मानते हुए निर्णय दे देते है। अगर द्वितीय पक्ष अदालत पहुँचता है तो इस स्थिति में बातचीत के जरिए मसले को सुलझाने की कोशिश की जाती है। 

बातचीत से मसला न सुलझने पर : यदि बातचीत के द्वारा समस्या नहीं सुलझती है तो इस स्थिति में तलाकनामा की अर्जी देने वाला पक्ष दूसरे पार्टनर के विरुद्ध कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है।

बयान दर्ज करवाना : इसके पश्चात एक से तीन माह (30 दिन से लेकर 90 दिनों तक) के अन्दर दोनों पक्षों के बयान कराये जाएंगे।

सुनवाई एवं अदालत का निर्णय : दोनों तरफ के बयान होने के उपरांत सुनवाई होना आरंभ हो जाती है। जहां विभिन्न दस्तावेज और सबूतों की जरूरत होती है। इनको आधार मानते हुए ही अदालत अपना फैसला देती है। यह प्रक्रिया कितनी अधिक लंबी चलती है, ये मामले पर निर्भर करेगा।

आवश्यक कागजात : कोई भी विवाहित जोड़ा जो अब किन्ही कारणों से डिवोर्स ले रहा है, उन्हें डिवोर्स की एप्लीकेशन के लिए कुछ आवश्यक कागजातों की ज़रूरत होगी। आप नीचे दी गयी लिस्ट के बेस पर भी इन पेपर्स को रेडी कर सकते हैं।

शादी का प्रमाण-पत्र – Marriage certificate

विवाह के दौरान की 4 फोटोज – Four wedding photos

एक साल अलग रहने का साक्ष्य – Proof of living apart for one year

सुलह के प्रयत्नों के प्रमाण – Evidence of reconciliation efforts

दोनों पक्षों के घर के संबंध में सूचना – Information about the family of both sides

तीन वर्ष का आयकर स्टेटमेंट- Income tax statement for three years

पेशे और आमदनी का ब्यौरा – Profession and income details जैसे कि – वेतन स्लिप, नियुक्ति लेटर आदि।

संपत्ति और स्वामित्व का विवरण -Property and ownership details

आवास का साक्ष्य -Proof of residence

तलाक के नये नियम 2023 – New Rules For Divorce

तलाक से सम्बंधित कुछ पुराने रूल्स में परिवर्तन करा गया है। नए रूल्स के मुताबिक अब अगर कोई विवाहित जोड़ा पारस्परिक सहमति से डिवोर्स लेना चाहता है तो इस स्थिति में उन्हें अगले 6 महीनों का इंतजार नहीं करना होगा। अगर वे चाहें तो 6 महीनों की अवधि पूरी किये बिना ही डिवोर्स ले सकते हैं। उन पर इस समयावधि के लिए किसी तरह बाध्यता नहीं होगी।

आपको बता दें कि यदि पहले पति-पत्नी आपसी सहमति से भी डिवोर्स लेते थे तो भी उन्हें डिवोर्स की पिटीशन (याचिका) फाइल करने के उपरांत अगले 6 माह की प्रतीक्षा करनी जरूरी होती थी। जिसको कूलिंग पीरियड (Cooling Period) कहते थे। जिसका मकसद ये होता था की इन 6 महीने में पति-पत्नी अगर पॉसिबल है तो पारस्परिक सुलह कर सकें। अदालत द्वारा बताए गए इस टाइम पीरियड में अगर पति-पत्नी अपने संबंध को पुनः एक अवसर देने की कोशिश करते हैं तो अगली बार पेश होने पर डिवोर्स कैंसिल कर दिया जाता है , लेकिन यदि ऐसा कुछ नहीं होता तो फिर उन्हें डिवोर्स की इजाजत मिल जाती थी।

एकतरफा डिवोर्स से संबंधित सवाल जवाब – FAQ’s Related to Unilateral Divorce

प्रश्न – वन साइडेड डिवोर्स में कितना समय लगता है?

प्रश्न – एकतरफा तलाक कितने दिन में हो जाता है?

उत्तर – यदि कोई एकपक्षीय तलाक के लिए अप्लाई करता है तो इसमें लगने वाला टाइम फिक्स्ड नहीं है। सभी के केस में ये अवधि अलग अलग हो सकती है। यद्यपि हम इसे 180 दिनों का लेकर चल सकते हैं। अब आपको पता लग गया होगा कि तलाक कितने दिन में हो जाता है?

प्रश्न – डिवोर्स लेने के लिए कौन-कौन से कागज लगते हैं?

उत्तर – डिवोर्स लेने के लिए कुछ आवश्यक दस्तावेजों की जरूरत होती है जैसे – एक साल के लिए अलग रहने का सबूत, पिछले 3 सालों के इनकम टैक्स स्टेटमेंट। मैरिज सर्टिफ़िकेट, विवाह की चार फोटो, व्यवसाय एवं आमदनी का ब्यौरा (सैलरी स्लिप, ज्वाइनिंग लेटर), पता, धन-संपत्ति का ब्यौरा स्वामित्व, परिवार के संबंध में सूचना इत्यादि।

प्रश्न – एकतरफा तलाक़ कैसे मिलता है?

उत्तर – तलाक अगर एकतरफ़ा है तो इसमें हसबैंड या वाइफ अपने साथी के विरुद्ध तलाकनामा की अर्जी डालती है। इसके पश्चात तलाक की कार्रवाई से संबंधित नोटिस दूसरे पार्टनर को पहुँचा दिया जाता है। इसके पश्चात निश्चित की गई तिथि को उस इंसान को अदालत में उपस्थित होना होगा। अगर ऐसा कुछ नहीं होता तो प्रथम पक्ष द्वारा उपलब्ध कराए गए सबूतों को आधार मानते हुए तलाक की इजाजत दे दी जाती है। अगर द्वितीय पक्ष उपस्थित होता है तो बातचीत से मसला सुलझाने की कोशिश की जाती है।

प्रश्न – क्या शादी का 1 साल होने से पहले तलाक का केस फाइल कर सकते हैं?

प्रश्न – शादी के कितने दिन बाद तलाक ले सकते हैं ?

उत्तर – अगर आप डिवोर्स लेना चाहते हैं तो आपको लिहाजा एक वर्ष के लिए अपने हसबैंड या अपनी वाइफ से अलग रहना होगा। इसके साथ ही इसके साक्ष्य भी प्रस्तुत करने होंगे।

प्रश्न – तलाक जल्दी किस प्रकार से ले सकते है?

उत्तर – जो भी विवाहित जोड़े शीघ्र तलाक लेना चाहते हैं, उन्हें आपसी सहमति से तलाक के लिए याचिका डालनी होगी। इस याचिका में स्पष्ट तौर पर कहा गया हो कि पारस्परिक सहमति से डिवोर्स लिया जा रहा है। इसके पश्चात अदालत में हाजिर होकर बयान देने के पश्चात इसी आधार पर डिवोर्स की स्वीकृति मिल जाएगी।

आज इस आर्टिकल के जरिए आप ने एकतरफा डिवोर्स के संबंध में सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त की। आशा है आप लोगों को ये सूचना उपयोगी लगी होगी। अगर आप इसी प्रकार के और आवश्यक लेखों के संबंध में पढ़ना चाहते हैं तो हमारी इंटरनेट साइट को सब्स्क्राइब करके हमसे जुड़ सकते हैं।

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