Thursday, December 12, 2024
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महालया 2023: जानिए देवी दुर्गा के आगमन से जुड़े इस खास उत्सव का इतिहास, महत्व और शुभ मुहूर्त

महालया 2023: यह पितृ पक्ष के अंतिम दिन मनाया जाने वाला एक खास उत्सव है जो देवी पक्ष या देवी के युग की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग मां दुर्गा के आगमन के आगामी पूजा उत्सव के लिए तैयारी करते हैं।

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महालया का इतिहास, महत्व और शुभ मुहूर्त

महालया का अर्थ और मनाने का तरीका

महालया 2023: भारतीय संस्कृति में, महालया एक विशेष दिन है जो पितरों की विदाई और मां दुर्गा के आगमन से संबंधित है। यह जीवित लोगों को उनके गुजरे हुए पूर्वजों से जोड़ता है। यह उत्सव दुर्गा पूजा उत्सव से एक सप्ताह पहले शुरू होता है, इसे देवी पक्ष या देवी के युग की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। यह पितृ पक्ष के अंतिम दिन, और नवरात्रि की शुरुआत से एक दिन पहले मनाया जाता है, अर्थात यह अमावस्या के दिन मनाया जाता है। 

इस दिन लोग मां दुर्गा के आगमन के आगामी पूजा उत्सव के लिए तैयारी करते हैं। और घर के बुजुर्ग सदस्य तर्पण का आयोजन करके अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, इस दिन गंगा घाट पर पूर्वजों की आत्मा को जल अर्पित किया जाता है। यह त्योहार एक विशिष्ट तिथि को विशिष्ट समय पर मनाया जाता है और इसका बहुत सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है।

बंगाली समुदाय के लोग इस दिन सूर्योदय में उठकर सभी कामों से निवट कर स्नान करके अपने घरों में मां दुर्गा को धरती पर आने की प्रार्थना करते हैं।

महालया 2023: तारीख और समय

यह उत्सव सामान्यतया भाद्र माह के अंधेरे पखवाड़े के अंतिम दिन (सामान्यतया सितंबर या अक्टूबर माह में) पड़ता है। इस वर्ष, यह 14 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस तिथि को चंद्र गणना के आधार पर निश्चित किया जाता है, इस उत्सव को देवी दुर्गा की पूजा के लिए विशेष समय मानते है।

यह दिन चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित किया जाता है। चूंकि इस वर्ष अमावस्या तिथि 13 अक्टूबर 2023 को रात 9:50 बजे शुरू होगी और 14 अक्टूबर 2023 को रात 11:24 बजे समाप्त होगी। इसलिए इसी दौरान महालया उत्सव मनाया जाएगा। द्रिक पंचांग के अनुसार कुतुप मुहूर्त सुबह 11:44 बजे से शुरू होकर दोपहर 12:30 बजे तक रहेगा, रोहिणा मुहूर्त दोपहर 12:30 बजे से शुरू होकर दोपहर 1:16 बजे तक और अपराहन काल दोपहर 1:16 बजे से शुरू होकर दोपहर 3:35 बजे तक रहेगा।

महालया का सांस्कृतिक महत्व

देवी का आह्वान

महलया 16 दिनों के चंद्र काल के बाद आता है, तथा यह देवी दुर्गा के आगमन का प्रतीक होता है इसलिए यह उनकी पूजा के लिए समर्पित होता है। महालया के दिन “देवी महात्म्य” जो कि माँ दुर्गा का सम्मान करने के लिए एक पवित्र पाठ है को देवी दुर्गा को आमंत्रित करने के लिए भावपूर्वक पढ़ा जाता है। इसे देवी मां का स्वागत करने, उनसे सुरक्षा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक आध्यात्मिक आह्वान के तौर पर देखा जाता है।

पूर्वजों को याद करना

महालया के दिन को, पूर्वजों को याद करने व उन्हें श्रद्धांजलि देने के दिन के तौर पर भी मनाया जाता है। घर के लोग “तर्पण” नामक एक अनुष्ठान का आयोजन करते हैं, जिसमें वे दिवंगत आत्माओं के लिए जल का अर्घ देते है और प्रार्थना करते हैं। ऐसा इसलिए करते है क्योंकि वे मानते है कि आने वाले उत्सवों के लिए उनका मार्गदर्शन और आशीर्वाद बहुत महत्वपूर्ण है।

चंडी पाठ

महालया का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा है चंडी पाठ, जो देवी दुर्गा के आशीर्वाद को पाने के लिए पढ़ा जाता है। भक्त इस पाठ को करने के लिए मंदिर जाते हैं और इसके साथ ही धार्मिक प्रार्थनाओं में भाग लेते हैं।

सांस्कृतिक कार्यक्रम

महालया का यह उत्सव भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। महालया के मौके पर, भारत के विभिन्न हिस्सों में लोग सांस्कृतिक कार्यक्रमों, नृत्य, नाटक, और कला प्रदर्शनों में भाग लेते हैं। ये कार्यक्रम उत्सव के माहौल को और बढ़िया कर देते हैं और इस प्रकार के उत्सवों से लोगों के बीच एकजुटता की भावना भी पैदा होती हैं। महालया का अनुष्ठान आध्यात्मिकता, पूजा, और परम्परागत मूल्यों का पालन करने का एक सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करता है।

महालया पर अपनों को भेंजे यह मैसेज

मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के साथ, प्रसिद्धि, स्वास्थ्य, संपदा, खुशी, इंसानियत, शिक्षा, भक्ति और शक्ति का आपको वरदान मिले। महालया की हार्दिक शुभकामनाएं

देवी दुर्गा आपके आस-पास की सभी बुराईयों का नाश करें, आपके जीवन को समृद्धि और खुशियों से भर दें। महालया की हार्दिक शुभकामनाएं।

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। महालया की हार्दिक शुभकामनाएं

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