कनाडा से एक बेहद चिंताजनक रिपोर्ट मिली है। इस रिपोर्ट के अनुसार, हर महीने लगभग पांच से आठ भारतीयों के शव कनाडा से भारत लाए जाते है। इन शवों को हैंडल वाले लोगों ने कहा कि मरने वाले भारतीयों की संख्या अभी भी इतनी ही है, लेकिन कनाडा सरकार ने ऐसी रहस्यमयी मौतों के पीछे का कारण जानने के लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है।
कनाडा से एक बेहद चिंताजनक रिपोर्ट मिली है। इस रिपोर्ट के अनुसार, हर महीने लगभग पांच से आठ भारतीयों के शव कनाडा से भारत लाए जाते है। इनमें से अधिकांश शव 20 साल की आयु के भारतीय युवाओं के होते है। इन शवों में से कई शव उन छात्रों के हैं जो कनाडा में अपने अध्ययन के लिए या जॉब के लिए आते हैं। हाल के कुछ सालों में कनाडा के अंदर रह रहे भारतीय युवाओं की बड़ी संख्या मे मौतें रिकार्ड की गई है जो विशेष रूप से ओन्टारियो ग्रेटर टोरंटो क्षेत्र के फ्यूनरल होम्स द्वारा या शवों के घरवालों के द्वारा सूचना देने के बाद सामने आई हैं। यह रिपोर्ट तब सामने आई है जब कनाडा और भारत के बीच खालिस्तानी आतंकवादी निज्जर की हत्या के संदर्भ में राजनीतिक विवाद चल रहा है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, छात्रों की मौत के पीछे कई कारण हैं। इनमें कुछ आत्महत्याएं भी शामिल हैं, जबकि अन्य में दुर्घटनाएं, हत्याएं, गलत दवाओं का अत्यधिक सेवन, दिल की बीमारियाँ, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ शामिल हैं। इस रिपोर्ट के आने के बावजूद शवों को हैंडल वाले लोगों का कहना है कि मृतकों की संख्या अभी भी बढ़ रही है, लेकिन कनाडा सरकार ने अभी भी इसके समाधान के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। कनाडा में रहने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए आवास, भोजन और रोजगार की समस्या काफी गंभीर है, इसके अतिरिक्त अन्य विदेशी छात्रों के लिए यहाँ संघर्ष काफी तकलीफदेह है।
यह समस्या खासकर कोविड महामारी के बाद और भी बढ़ गई है। इस समस्या का सबसे बड़ा प्रभाव उन छात्रों पर पड़ रहा है जो अपना स्कूल पूरा करके तुरंत ही कनाडा चले आते हैं और फिर अपने खर्चे उठाने के लिए रोजगार की तलाश में जुट जाते हैं। कई लोग तो उनके माता-पिता के द्वारा लिए गए कर्ज को चुका रहे हैं, जो उनके माता पिता द्वारा उन्हें विदेश भेजने के लिए लिया गया था। कनाडाई प्रेस में भी अंतरराष्ट्रीय छात्रों की बड़ी संख्या में मौतों को लेकर चिंता व्यक्त की जा चुकी है, इस समस्या की गंभीरता कोविड के प्रकोप के बाद और भी बढ़ गई है।
कनाडा सरकार को अंतरराष्ट्रीय छात्रों की मौतों के विषय में गहराई से जानने और समझने की आवश्यकता है। इस बारे में तथ्यों का पता फ्यूनरल होम्स के आंकड़ों से ही लगाया जा सकता है, ये फ्यूनरल होम्स भारतीय छात्रों के शवों को प्रायः उनके घरवालों तक वापस पहुचानें का दायित्व अदा करते है। क्योंकि पोस्टमार्टम केवल उन शवों का ही किया जाता है जिन्हें पुलिस द्वारा संदिग्ध समझा जाता है। यह पुलिस ही तय करती है कि कौन सा शव मुर्दाघर ले जाया जाएगा।
ब्रैम्पटन श्मशान घाट के सह-मालिक और अध्यक्ष इंद्रजीत बल ने इस समस्या को गंभीरता से उठाया है। वे कहते हैं, “यह हैरानीजनक है कि यहां अपनी शिक्षा पूरी करने आने वाले छात्र अपनी युवा उम्र में ही इस संसार से चले जाते हैं।” इंद्रजीत के अनुसार, “फ्यूनरल होम एक माह में लगभग चार भारतीय युवाओं के शवों को वापस भेजता है, और इनमें से अधिकांश स्टडी परमिट या वर्क वीजा के तहत आए छात्रों के शव होते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि “पिछले दो वर्षों से यही हालात है, और 2018-19 की तुलना में भारतीय छात्रों की बढ़ती आमद ने इसे और भी गंभीर बना दिया है। हमने इस मुद्दे को हाल ही में शिक्षा मंत्री के सामने उठाया है, लेकिन उनसे कोई जवाब नहीं मिला।” इंद्रजीत ने कनाडाई मंत्री के सामने कई और मुद्दे भी उठाए हैं, जिनकी वजह से छात्रों पर अत्याधिक दबाव पड़ता है।
उन्होंने कहा इनमें सड़क दुर्घटनाएं और हिंसा की घटनाएं भी शामिल हैं। कई छात्र ज्यादा उत्सुक होते है इसलिए जब वे यहां की बड़ी जीलों को देखते हैं, तो वे पानी में उतर जाते है, लेकिन वे तैरने का ज्ञान नहीं होने के कारण वे डूब जाते हैं। खासकर गर्मियों में इस प्रकार की घटनाएं अधिक होती हैं। कभी कभी इन छात्रों के अंतिम संस्कार का खर्च इनके परिवार के लोग उठा पाने मे सक्षम नहीं होते है, तो दोस्तों और रिश्तेदारों को इसके लिए धन जुटाना पड़ता है।क्योंकि इसके लिए जो खर्च होता है, वो 11,000 से 13,000 कनाडाई डॉलर लगभग 796085 रुपये के लगभग आता है।
कनाडा सरकार को छात्रों की सुरक्षा और कल्याण के प्रति अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है, खासकर उन छात्रों के लिए जो विदेश से आते हैं और अपने सपनों की पढ़ाई के लिए इस देश में आते हैं। उनके सुरक्षा और सहायता के लिए उचित इंतजाम करने की आवश्यकता है, ताकि वे खुद को सुरक्षित और सुखमय महसूस कर सकें।