डॉ. विकास दिव्यकीर्ति यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा की कोचिंग की दुनिया के मशहूर और अच्छे शिक्षकों में से एक हैं। आप सिविल सर्विस के लिए तैयारी नहीं भी कर रहें है फिर भी आपने उनके छोटे-छोटे मोटिवेशनल वीडियोज इंटरनेट पर जरूर देखे होंगे। यह वीडियो इंटरनेट पर काफी अधिक वायरल हैं। जिस कारण से यूपीएससी के अभ्यर्थियों के साथ-साथ आम लोग भी उनके फैन बन गए है।

विकास सर मे क्या है खास
विकास दिव्यकीर्ति का एक खास गुण है कि वे किसी भी पेचीदा विषय को बहुत ही आसानी से समझा सकते हैं। इसके साथ ही उनका सरल स्वभाव, अनूठा अंदाज और उनका सेंस ऑफ ह्यूमर उन्हें बाकी शिक्षकों से अलग बनाता है। उनकी प्रेरणादायी शिक्षा के चलते लाखों लोगों को उनके जीवन के बारे में जानने में दिलचस्पी बनी हुई हैं।
दृष्टि आईएएस कोचिंग सेंटर के संस्थापक और डायरेक्टर डॉ विकास दिव्यकीर्ति को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की बातें होती रहती हैं। इन्हीं में से उनके व्यक्तिगत जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है उनका सरनेम ‘दिव्यकीर्ति’। आपको बता दें कि उनके दोने सगे भाइयों के सरनेम उनके सरनेम से अलग हैं। एक बार उनसे जब इसके बारे में पुच गया तो उन्होंने इसके पीछे की एक दिलचस्प कहानी सुनाई, जो इस प्रकार है।
Vikas Divyakirti Sir Real Surname पर क्या बोले
विकास सर के अनुसार, उनका सरनेम उनकी मर्जी से नहीं है बल्कि इसका रिश्ता उनके परिवार से संबंधित है। उनका परिवार आर्य समाज को मानता है जिसमें जाति व्यवस्था के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने बताया कि मेरे परिवार में कास्ट सिस्टम नहीं है। हमारे यहां यह भी नहीं बताया जाता कि जाति क्या है या हम किस जाति से हैं? तीन पीढ़ियों से यही परंपरा चली आ रही है।
उन्होंने आगे बताया कि मेरे पिताजी की पीढ़ी में बहुत से लोग साहित्यकार थे। मेरे पिताजी भी एक साहित्यकार हैं। पिताजी को हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा बहुत से पुरस्कार दिए जा चुके है। उन्होंने कुछ उपन्यास भी लिखे हैं। तो उस समय इन सभी साहित्यकार परिवारों में एक राय बनी कि बच्चों के नाम के आगे कास्ट का नेम नहीं लगाएंगे, तो क्यों न साहित्यिक सा मौलिक नाम लगाया जाए। ऐसा हमारे खानदान के तीन-चार परिवारों में हुआ। हमारी फैमिली भी उनमें से एक थी।’
विकास सर के भाइयों के सरनेम क्या है?
डॉ. दिव्यकीर्ति ने कहा, ‘मुझे मिलाकर हम लोग तीन भाई हैं। मैं सबसे छोटा हूं। तीनों के सरनेम अलग-अलग हैं। बड़े भाई का सरनेम मधुवर्षी, दूसरे का सरनेम प्रियदर्शी और मेरा सरनेम दिव्यकीर्ति है। तो ये सब मेरे माता-पिता की साहित्यिक रुचियों का परिणाम हैं।’ तो दोस्तों अब आपको पता लग गया होगा कि विकास दिव्यकीर्ति सर के नाम के आगे दिव्यकीर्ति क्यों लगा हुआ है और विकास दिव्यकीर्ति सर के भाइयों के सरनेम उनसे अलग क्यों है।
बचपन मे विकास दिव्यकीर्ति सर का सरनेम क्या था?
उन्होंने यह भी बताया कि बचपन में उनका सरनेम चक्रवर्ती था। फिर पिताजी को पता चला कि चक्रवर्ती तो पश्चिम बंगाल की तरफ एक जाति है। तो चक्रवर्ती सरनेम से ऐसा लगेगा कि वे बंगाल से हैं। इसलिए पिताजी ने चक्रवर्ती हटाकर दिव्यकीर्ति कर दिया। उस समय दिव्यकीर्ति सरनेम उनके मामाजी के बच्चों के नाम के साथ भी लगा हुआ था, तो वे वही सरनेम रख दिए।
विकास दिव्यकीर्ति सर की रैंक क्या थी
विकास दिव्यकीर्ति सर ने अपने पहले प्रयास में ही सन 1996 में यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा को पास कर लिया था और उनकी रैंक 384 थी। उन्होंने होम मिनस्टिरी कैडर में केंद्रीय सचिवालय सेवा में नौकरी प्राप्त की, लेकिन कुछ माह के बाद ही, उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और पढ़ाना शुरू कर दिया।